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ज़ुबैर अली ताबिश

1987 | जलगाँव, भारत

ज़ुबैर अली ताबिश

ग़ज़ल 10

नज़्म 2

 

अशआर 16

आज तो दिल के दर्द पर हँस कर

दर्द का दिल दुखा दिया मैं ने

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तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे शक गया होगा

चराग़ ख़ुद भी तो जल जल के थक गया होगा

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कोई तितली निशाने पर नहीं है

मैं बस रंगों का पीछा कर रहा हूँ

उस के ख़त रात भर यूँ पढ़ता हूँ

जैसे कल इम्तिहान हो मेरा

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वो जिस ने आँख अता की है देखने के लिए

उसी को छोड़ के सब कुछ दिखाई देता है

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चित्र शायरी 2

 

वीडियो 4

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

ज़ुबैर अली ताबिश

ज़ुबैर अली ताबिश

मरहूम और महरूम

मिरी हयात ये है और ये तुम्हारी क़ज़ा ज़ुबैर अली ताबिश

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