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नज़्म
भारत के मुसलमान
इस दौर में तू क्यूँ है परेशान-ओ-हिरासाँ
क्या बात है क्यूँ है मुतज़लज़ल तेरा ईमाँ
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
तेरी याद
रात फिर तेरे ख़यालों ने जगाया मुझ को
टिमटिमाती हुई यादों का ज़रा सा शोला
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
जुनून-ए-वफ़ा
वो ख़ाक बोए थे हालात ने शरर जिस में
अब उस में फूल तमन्ना के खिलने वाले हैं
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
सुभाष-चंद्र-बोस बहादुर-शाह-ज़फ़र के मज़ार पर
अस्सलाम ऐ अज़्मत-ए-हिन्दोस्ताँ की यादगार
ऐ शहंशाह-ए-दयार-ए-दिल फ़क़ीर-ए-बे-दयार
जगन्नाथ आज़ाद
ग़ज़ल
इस सियासत में मियाँ आबाद हो जाने के बा'द
मर गए किरदार ज़िंदाबाद हो जाने के बा'द
बिलाल सहारनपुरी
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ग़ज़ल
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
नज़्म
वतन आज़ाद करने के लिए
हिन्द का उजड़ा चमन आबाद करने के लिए
दर्द के मारे हुओं को शाद करने के लिए
अल्ताफ़ मशहदी
नज़्म
ज़ौक़ ओ शौक़
क़ल्ब ओ नज़र की ज़िंदगी दश्त में सुब्ह का समाँ
चश्मा-ए-आफ़्ताब से नूर की नद्दियाँ रवाँ!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
पैग़ाम ईद
अपनी आँखों में ख़मिस्तान-ए-मय-ए-नाब लिए
अपने आरिज़ पे बहार-ए-गुल-ए-शादाब लिए
हफ़ीज़ बनारसी
ग़ज़ल
पए-नज़्र-ए-करम तोहफ़ा है शर्म-ए-ना-रसाई का
ब-खूँ-ग़ल्तीदा-ए-सद-रंग दा'वा पारसाई का
मिर्ज़ा ग़ालिब
हास्य शायरी
उस बाप से नाता तोड़ लिया जिस बाप का था बेहद प्यारा
तू माल हड़प कर बैठा है रोता है ख़ुसुर भी बेचारा