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नज़्म
रास्ते गर्द में अटते हुए राही से बिछड़ जाते हैं
ख़ून रोती हुई आँखों में कहीं शाम उतर जाती है
ईमान क़ैसरानी
नज़्म
ज़मीं उड़ती फिरेगी आसमाँ नीचे बिछा होगा
ज़रा सोचो तो ऐसा होगा दुनिया में तो क्या होगा
सफ़दर अली सफ़दर
नज़्म
ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा वो असरार-ए-बातिन क्या हुए
सोज़ की रातें कहाँ हैं साज़ के दिन क्या हुए
जोश मलीहाबादी
नज़्म
क़ुलिर्रूहो मिन अम्र-ए-रब्बी
उन लोगों से जो ये समझते हैं कि हर बात लफ़्ज़ से शुरूअ' होती है
अहमद हमेश
नज़्म
जब दिन ढल जाता है, सूरज धरती की ओट में हो जाता है
और भिड़ों के छत्ते जैसी भिन-भिन
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
झुटपुटे का नर्म-रौ दरिया शफ़क़ का इज़्तिराब
खेतियाँ मैदान ख़ामोशी ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब
जोश मलीहाबादी
नज़्म
दिल मसर्रत की फ़रावानी से दीवाना है आज
देखना ये कौन आख़िर ज़ेब-ए-काशाना है आज
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
दलील-ए-सुब्ह-ए-रौशन है सितारों की तुनुक-ताबी
उफ़ुक़ से आफ़्ताब उभरा गया दौर-ए-गिराँ-ख़्वाबी