ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
मैं अपने इश्क़ में नाकाम होने वाला था
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं
शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं
कल जो था वो आज नहीं जो आज है कल मिट जाएगा
रूखी-सूखी जो मिल जाए शुक्र करो तो बेहतर है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
मैं अपने इश्क़ में नाकाम होने वाला था
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं
शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं
कल जो था वो आज नहीं जो आज है कल मिट जाएगा
रूखी-सूखी जो मिल जाए शुक्र करो तो बेहतर है
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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