बेस्ट प्यार शायरी
न जाने कौन सी मंज़िल पे आ पहुँचा है प्यार अपना
न हम को ए'तिबार अपना न उन को ए'तिबार अपना
प्यार के बंधन ख़ून के रिश्ते टूट गए ख़्वाबों की तरह
जागती आँखें देख रही थीं क्या क्या कारोबार हुए
प्यार गया तो कैसे मिलते रंग से रंग और ख़्वाब से ख़्वाब
एक मुकम्मल घर के अंदर हर तस्वीर अधूरी थी