जौन एलिया को समझना मुश्किल ही नहीं ना-मुमकिन है
जौन एलिया के बेशुमार अशआर मशहूर-ए-ज़माना हैं।और उनकी मक़्बूलियत की वज्ह ये है कि वो सादा और सलीस ज़बान में हैं। हमने इस इंतिख़ाब में जौन एलिया के चंद ऐसे अशआर को शामिल किया है जिनमें ज़बान का बरताव मुश्किल है और उनको को समझने के लिए लुग़त का सहारा लेना पड़ेगा।
तेरा ख़याल ख़्वाब ख़्वाब ख़ल्वत-ए-जाँ की आब-ओ-ताब
जिस्म-ए-जमील-ओ-नौजवाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर
हुस्न से अर्ज़-ए-शौक़ न करना हुस्न को ज़क पहुँचाना है
हम ने अर्ज़-ए-शौक़ न कर के हुस्न को ज़क पहुँचाई है
वो मुंकिर है तो फिर शायद हर इक मकतूब-ए-शौक़ उस ने
सर-अंगुश्त-ए-हिनाई से ख़लाओं में लिखा होगा