क्यों बुझ गया आवारगी: मोहसिन नक़वी
उर्दू शायरी की दुनिया में मोहसिन नक़वी का नाम बहुत अह्म है।उनकी ग़ज़लों को बड़े-बड़े गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। आइए इस चयन के ज़रिए उनके मशहूर शेरों को पढ़ते हैं।
अब के बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था
अपनी कच्ची बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था
बड़ी उम्र के बा'द इन आँखों में कोई अब्र उतरा तिरी यादों का
मिरे दिल की ज़मीं आबाद हुई मिरे ग़म का नगर शादाब हुआ