aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
तिरे ख़याल के पहलू से उठ के जब देखा
महक रहा था ज़माने में चार-सू तिरा ग़म
मुंतज़िर किस का हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला
साँस लेती है वो ज़मीन 'फ़िराक़'
जिस पे वो नाज़ से गुज़रते हैं
ज़िंदगी नाम है जुदाई का
आप आए तो मुझ को याद आया
I was reminded when you came
that life and parting are the same
जो चुप-चाप रहती थी दीवार पर
वो तस्वीर बातें बनाने लगी
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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