aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
Love your sad conclusion makes me weep
Wonder why your mention makes me weep
इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
मुड़ के देखा तो हमें छोड़ के जाती थी हयात
हम ने जाना था कोई बोझ गिरा है सर से
चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो ले
कहीं कोई तुझे पीछे से देखता होगा
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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