aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है
न अपने ज़ब्त को रुस्वा करो सता के मुझे
ख़ुदा के वास्ते देखो न मुस्कुरा के मुझे
क़दम मिला के ज़माने के साथ चल न सके
बहुत सँभल के चले हम मगर सँभल न सके
क़रार दिल को सदा जिस के नाम से आया
वो आया भी तो किसी और काम से आया
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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