aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Tootne Par Koi Aaye To Phir Aisa Toote | Jawad Sheikh Shayari | Jashn-e-Rekhta
शब्दार्थ
आज भी गाँव में कुछ कच्चे मकानों वाले
घर में हम-साए के फ़ाक़ा नहीं होने देते
"हम ग़ज़ल में तिरा चर्चा नहीं होने देते" ग़ज़ल से की मेराज फ़ैज़ाबादी
बीसवीं सदी के नामचीन हिंदी शायर और कथाकार, अपनी लोकप्रिय नज़्मों के साथ हिंदी में ग़ज़ल लेखन के लिए पहचाने जाते हैं