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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Aasim Shahnawaz Shibli's Photo'

आसिम शहनवाज़ शिबली

1962 | कोलकाता, भारत

शायर और लेखक, बच्चों के साहित्य पर अपने आलोचनात्मक और शोधपूर्ण कार्य के लिए प्रसिद्ध

शायर और लेखक, बच्चों के साहित्य पर अपने आलोचनात्मक और शोधपूर्ण कार्य के लिए प्रसिद्ध

आसिम शहनवाज़ शिबली के दोहे

घर घर जा कर जो सुने लोगों की फ़रियाद

उस को अपने घर में ही मिले कोई दाद

सहमे सहमे क़ाफ़िले पत्थर-दिल हैं लोग

हम हैं उन के बीच अब ये तो इक संजोग

याद आता है रह रह के छोटा सा वो गाँव

बरगद पीपल की वही प्यारी प्यारी छाँव

कैसे निखरे शाएरी और तर्ज़-ए-इज़हार

इस में होता है मियाँ ख़ून-ए-दिल दरकार

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