अश्कों को आरज़ू-ए-रिहाई है रोइए
आँखों की अब इसी में भलाई है रोइए
अब्बास क़मर 25 अगस्त 1994 को जौनपुर के एक गाँव जिघां में पैदा हुए। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आए। दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. किया और फिर जामिया मिलिया इस्लामिया से इंटरनेशनल रिलेशन्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
शुरुआत से ही उनका स्वभाव शायरी की ओर था और दिल्ली के साहित्यिक और शायरी माहौल ने उनकी शख्सियत और शायरी पर गहरा प्रभाव डाला। इसके कारण, 2017 से उन्होंने नियमित रूप से शेरो-शायरी करना शुरू किया और आज वे भारत भर के मुशायरों में युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।