और भी कितने तरीक़े हैं बयान-ए-ग़म के
मुस्कुराती हुई आँखों को तो पुर-नम न करो
अब्दुल अज़ीज़ फ़ित्रत 15 फ़रवरी 1905 को रावलपिंडी में पैदा हुए. वह एक अच्छा शायर होने के साथ पत्रकार भी थे और सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भी. काफ़ी समय तक डाक विभाग की नौकरी से सम्बद्ध रहे. 05 अक्टूबर 1967 को रावलपिंडी में देहांत हुआ.
अब्दुल अज़ीज़ फ़ित्रत की शायरी क्लासिकी रँग व आहंग की है लेकिन उनकी ग़ज़लों स्वतः स्थानीय भाषाओं के प्रभाव ने उसे एक नई आब व ताब से आशना किया है. देहांत के बाद उनका काव्य संग्रह ‘कलाम-ए-फ़ित्रत’ के नाम से प्रकाशित हुआ.
फ़िज़ा जालंधरी
फ़िज़ा जालंधरी 27 जुलाई 1905 को जालंधर में पैदा हुए. असल नाम सैयद दिल मुहम्मद था. पंजाब यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की. विद्यार्थी जीवन से ही शे’र कहने लगे थे. रियाज़ खैराबादी और जलील मानिकपुरी से अपने कलाम की त्रुटियाँ ठीक कराईं. उसकेबाद दिल शाहजहांपुरी के शागिर्द हुए. विभाजन के बाद पाकिस्तान हिज्रत कर गये.
फ़िज़ा जालंधरी की ग़ज़लें हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में निरंतर छपती थीं और अपनी क्लासिकी रचाव की वजह से बहुत दिलचस्पी के साथ पढ़ी जाती थीं.
फ़िज़ा का शायद कोई काव्य संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ. उनकी बदकिस्मती यह हुई कि पूर्वी पंजाब के हंगामों में निजी पुस्तकालय के साथ उनके तीन दीवान भी नष्ट हो गये थे. 17 जून 1968 को देहांत हुआ.