अब्दुल्लाह साक़िब 7 अगस्त, 2001 को ज़िला शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश में एक इल्मी घराने में पैदा हुए। इब्तिदाई तालीम वतन ही में हासिल करने के बाद लखनऊ का रुख़ किया। जहाँ की अदबी और इल्मी फ़िज़ा में अपनी तालीम के साथ अदब और शायरी के ज़ौक़ को भी परवान चढ़ाया। वो एक उभरते हुए नौजवान शायर हैं जिनकी शायरी सादगी और गहराई से भरपूर है। उनकी ग़ज़लें और नज़्में हर शेरी इज़हार को इस अंदाज़ में पेश करती हैं कि वो अदबी हलक़े में पज़ीराई हासिल करती हैं। उनकी शायरी में फ़लसफ़ा, मोहब्बत, तन्हाई और ज़िंदगी के छोटे छोटे लम्हों को ख़ूबसूरती से पेश किया गया है। अब्दुल्लाह साक़िब की शायरी में एक मुन्फ़रिद ख़ुसूसियत है जो पढ़ने-सुनने वालों से गहरा रिश्ता क़ायम करती है। ताज़ा नज़रिए और अरबी-फ़ारसी शेरी रिवायत के साथ उर्दू तहज़ीब में रची-बसी ज़बान में वो ग़ज़ल में सच्चाई और बेसाख़्तगी का एहसास पैदा करते हैं।