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Abdurrahman momin's Photo'

अब्दुर्रहमान मोमिन

1996 | कराची, पाकिस्तान

पाकिस्तान के नौजवान शायर

पाकिस्तान के नौजवान शायर

अब्दुर्रहमान मोमिन के शेर

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चाँद में तू नज़र आया था मुझे

मैं ने महताब नहीं देखा था

'मोमिन-मियाँ' ये काम नहीं है ये इश्क़ है

क्या सोच में पड़े हो करूँ या करूँ नहीं

जिस रस्ते में तुम मिल जाओ

वो रस्ता मंज़िल होता है

ख़ुद को कितना भुला दिया मैं ने

तू भी अब अजनबी सा लगता है

चाँद में तू नज़र आया था मुझे

मैं ने महताब नहीं देखा था

ज़ख़्म खा कर भी जो दुआएँ दे

कौन उस का मुक़ाबला करेगा

ख़्वाब मेरे चुरा लिए उस ने

जिस को मैं ने उधार दीं आँखें

तुम से मिल कर मैं उस को भूल गया

जिस ने तुम से मुझे मिलाया है

मुझे भी अक़्ल परेशान करती रहती है

नहीं नहीं से गुज़र कर मैं हाँ पे आया हूँ

तू ने मुझ को बना दिया इंसाँ

मैं ने तुझ को ख़ुदा बनाया है

सितम तो ये है कि मैं ने उसे भी छोड़ दिया

जो सब को छोड़ के तन्हा खड़ा है मेरे साथ

जाने क्या कह रहा था वो मुझ से

मैं ने भी कह दिया कि ख़ुश हूँ मैं

मैं जहाँ भी गया तुझे पाया

तू भी क्या यूँ ही पा रहा है मुझे

उस ने वा'दा नहीं लिया मुझ से

और कहता है मैं मुकर रहा हूँ

जो लिखा ही नहीं गया मुझ से

दिल ने वो गीत गुनगुनाया है

कैसे कैसे मैं भूला हूँ

कैसे याद जाता है तू

वो जो कल तक हाँ में हाँ करता था मेरी

आज तो वो भी नहीं पर गया है

क्या बताऊँ छुपा है मुझ में कौन

कौन मुझ में छुपा रहा है मुझे

अभी से तुझ को पड़ी है विसाल की मिरी जाँ

अभी तो हिज्र ने उन्वान ही नहीं पाया

कफ़न की जेब भी ख़ाली नहीं है

ये बद-हाली है ख़ुश-हाली नहीं है

हिज्र का बाब ही काफ़ी था हमें

वस्ल का बाब नहीं देखा था

वे रातें जो गुज़रती ही नहीं थीं

उन्हें गुज़रे ज़माने हो गए हैं

याद आते हैं वे दिन बहुत

क्यों वे दिन दोबारा करें

कैसी अजीब बात है तू सामने था और

मैं तेरे सामने भी किसी और से मिला

आज सूरज ने कह दिया 'मोमिन'

तू जलेगा तो रौशनी होगी

छोड़ आए हैं वे गली लेकिन

वे गली छोड़ कर नहीं जाती

वे सामने से जा चुका तो ये खुला

वो ख़्वाब लग रहा था ख़्वाब था नहीं

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