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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Abu Mohammad Wasil Bahraichi's Photo'

अबु मोहम्मद वासिल बहराईची

1922 - 2018 | बहराइच, भारत

अबु मोहम्मद वासिल बहराईची

ग़ज़ल 10

अशआर 17

अगर तेरी तरह तब्लीग़ करता पीर-ए-मय-ख़ाना

तो दुनिया-भर में वाइज़ मय-कशी ही मय-कशी होती

सर्द-मेहरी से तिरी गर्मी-ए-उल्फ़त रही

दिल में उठता था जो हर-दम वो शरारा भी गया

रह-ए-वफ़ा में उन्हीं की ख़ुशी की बात करो

वो ज़िंदगी हैं तो फिर ज़िंदगी की बात करो

हँसा करते हैं अक्सर लोग दीवानों की बातों पर

जहाँ वाले नहीं समझे मोहब्बत की ज़बाँ शायद

मुझे वो बातों बातों में अगर दीवाना कह देते

तो दीवानों में मेरी मो'तबर दीवानगी होती

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