अफ़सर माहपुरी
ग़ज़ल 9
अशआर 8
हम कहाँ होंगे न जाने इस तमाशा-गाह में
किस तमाशाई से पहले किस तमाशाई के ब'अद
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कहाँ थी मंज़िल-ए-मक़्सूद अपनी क़िस्मत में
किसी की राहगुज़र भी मिली है मुश्किल से
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ये इर्तिक़ा-ए-बशर की है कौन सी मंज़िल
कि इस की ज़द में ख़ुदा भी है काएनात भी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बहार आएगी गुलशन में तो दार-ओ-गीर भी होगी
जहाँ अहल-ए-जुनूँ होंगे वहाँ ज़ंजीर भी होगी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए