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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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समकालिक पाकिस्तानी शायरों में शामिल

समकालिक पाकिस्तानी शायरों में शामिल

अफ़ज़ाल नवेद

ग़ज़ल 20

अशआर 19

कि जैसे ख़ुद से मुलाक़ात हो नहीं पाती

जहाँ से उट्ठा हुआ है ख़मीर खींचता हूँ

झलक थी या कोई ख़ुशबू-ए-ख़द्द-ओ-ख़ाल थी वो

चली गई तो मिरे आस पास रहने लगी

रख लिए रौज़न-ए-ज़िंदाँ पे परिंदे सारे

जो वाँ रखने थे दीवान में रख छोड़े हैं

रहती है शब-ओ-रोज़ में बारिश सी तिरी याद

ख़्वाबों में उतर जाती हैं घनघोर सी आँखें

हवस के नाग ने दिन रात रक्खा अपने चंगुल में

बहुत खेला हमारे तन से डसना रह गया बाक़ी

पुस्तकें 4

 

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