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ग़ज़ल 20
शेर 15
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
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अभी तो उस का कोई तज़्किरा हुआ भी नहीं
अभी से बज़्म में ख़ुशबू का रक़्स जारी है
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अब तो हर एक अदाकार से डर लगता है
मुझ को दुश्मन से नहीं यार से डर लगता है
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