आग़ाज़ बरनी
ग़ज़ल 8
अशआर 8
उसे सुलझाऊँ कैसे
मैं ख़ुद उलझा हुआ हूँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
क़द का अंदाज़ा तुम्हें हो जाएगा
अपने साए को घटा कर देखना
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं ख़ुद से छुपा लेकिन
उस शख़्स पे उर्यां था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं तो बस ये चाहता हूँ वस्ल भी
दो दिलों के दरमियाँ हाएल न हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वो ख़्वाब जिस पे तीरा-शबी का गुमान था
वो ख़्वाब आफ़्ताब की ताबीर हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए