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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अहमद रिज़वान के शेर

ये कौन बोलता है मिरे दिल के अंदरूँ

आवाज़ किस की गूँजती है इस मकान में

एक मुद्दत से उसे देख रहा हूँ 'अहमद'

और लगता है अभी एक झलक देखा है

क्या बात करूँ जो बातें तुम से करनी थीं

अब उन बातों का वक़्त नहीं क्या बात करूँ

अजनबी लोग हैं मैं जिन में घिरा रहता हूँ

आश्ना कोई यहाँ मेरे फ़साने का नहीं

होता कोई कार-ए-ज़माना मिरे सुपुर्द

बस अपने कारोबार-ए-मोहब्बत को देखता

उड़ती है ख़ाक दिल के दरीचों के आस-पास

शायद मकीन कोई नहीं इस मकान में

मुझे ये क्या पड़ी है कौन मेरा हम-सफ़र होगा

हवा के साथ गाता हूँ नदी के साथ चलता हूँ

किसी को छोड़ देता हूँ किसी के साथ चलता हूँ

मैं चलता हूँ तो फिर वाबस्तगी के साथ चलता हूँ

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