Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

अहमक़ फफूँदवी

1895 - 1957 | इटावा, भारत

हास्य और व्यंग्य के शायर

हास्य और व्यंग्य के शायर

अहमक़ फफूँदवी के शेर

ये कह रही है इशारों में गर्दिश-ए-गर्दूं

कि जल्द हम कोई सख़्त इंक़लाब देखेंगे

जो अर्ज़ां है तो है उन की मता-ए-आबरू वर्ना

ज़रा सी चीज़ भी बेहद गिराँ है इस ज़माने में

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए