आयशा अय्यूब नई पीढ़ी की शाएरात में नुमायां मुक़ाम रखती हैं। आप18 जनवरी को मुंबई में पैदा हुईं और आरंभिक शिक्षा मुंबई और सऊदी अरब में हासिल की। फ़िलहाल कई साल से लखनऊ में रह रही हैं और विभिन्न साहित्यिक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर अपनी सेवाएं दे रही हैं। उर्दू शायरी से दिलचस्पी आपको बचपन ही से रहा है, यही वजह है कि आपने मुख़ातब फ़ाउंडेशन की बुनियाद डाली और इसके माध्यम से उर्दू को फ़रोग़ देने में पेश पेश हैं।
जहां तक आपकी शायरी का ताल्लुक़ है आपने अपने अनुभवों और एहसासात को ख़ूबसूरत अंदाज़ में शेअरी पैराहन में ढाल कर इज़हार के वसीले को एहसास की गर्मी से मालामाल किया है और अपनी आज़ाद-ओ-पाबंद शायरी में विरोध के लहजे के साथ स्त्री की भावनाओं और संवेदनाओं को भी ख़ूबसूरती के साथ कलमबंद किया है।