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Aitbar Sajid's Photo'

ग़नाइयत और नग़्मगी के साथ विरह और मिलन की कैफ़ियतों से भरी रूमानी शायरी के लिए मशहूर

ग़नाइयत और नग़्मगी के साथ विरह और मिलन की कैफ़ियतों से भरी रूमानी शायरी के लिए मशहूर

ऐतबार साजिद

ग़ज़ल 46

नज़्म 2

 

अशआर 34

किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाए

कैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है

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मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ

जनम-दिन है अकेला रो रहा हूँ

एक ही शहर में रहना है मगर मिलना नहीं

देखते हैं ये अज़िय्यत भी गवारा कर के

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अब तो ख़ुद अपनी ज़रूरत भी नहीं है हम को

वो भी दिन थे कि कभी तेरी ज़रूरत हम थे

फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे

ऐसे ज़िंदा थे कि जीने की अलामत हम थे

पुस्तकें 5

 

चित्र शायरी 7

 

वीडियो 4

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Jo khayaal the na qayaas the

अज्ञात

Tumhain Dekh K Yaad Aata Hai Mujhay..... Kahin Pehlay Bhe Tum Sy Mila Hu Mein

अज्ञात

URDU POETRY - Na Khayal thay Na Qayaas Thay(AITBAR SAJID)

तुम्हें जब कभी मिलें फ़ुर्सतें मिरे दिल से बोझ उतार दो

तय्यब नवेद

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