दिल जहाँ बात करे दिल ही जहाँ बात सुने
कार-ए-दुश्वार है उस तर्ज़ में कहना अच्छा
पाकिस्तान में आधुनिक नज़्म को सम्मान व स्थायित्व प्रदान करने वाले शाइरों में अख़तर हुसैन जाफ़री का नाम स्पष्ट है. उनकी नज़्मों ने उर्दू की घुटी हुई काव्य परम्परा में नई वैचारिकता को राह देने में मुख्य भूमिका निभाई है. उनकी पैदाइश 15 अगस्त 1932 को मौज़ा बीबी पंडोरी ज़िला होशियारपुर में हुई और 3 जून 1992 को लाहौर में देहांत हुआ.
अख़तर हुसैन जाफ़री की अदबी ख़िदमात के लिए पाकिस्तान सरकार ने उन्हें सदारती तम्गा बराए हुस्न-ए-कारकर्दगी प्रदान किया. ‘आईनाखाना’, और ‘जहाँ दरिया उतरता है’ के नाम से उनके काव्य संग्रह प्रकाशित हुए.