अलीज़े नजफ़ का परिचय
जन्म :सरायमीर, उत्तर प्रदेश
अलीज़े नजफ़ का तअल्लुक़ सराय मीर, आज़म गढ़, उतर प्रदेश से है। वह एक अदीबा, शायरा, काॅलम निगार और इंटरव्यू निगार हैं। यूँ तो कई अख़बारों में उनके काॅलम्ज़ प्रकाशित होते रहते हैं जैसे सियासी तक़दीर, श्रीनगर जंग, क़ौमी सहाफ़त, रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा और हमारा समाज, रोज़नामा इन्किशाफ़ वग़ैरा। हिन्दुस्तान के सबसे छपने वाले अख़बार रोज़नामा इन्क़िलाब और राष्ट्रीय सहारा में ब-हैसियत मुस्तक़िल काॅलम निगार के लिखती हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है और इसके अलावा उनके अदबी मज़ामीन और ग़ज़लें हिंद-ओ-पाक के क़ाबिल-ए-क़द्र जरीदों और रिसालों में शाए होती रहती हैं और साथ-साथ उनके ज़रीए लिए गए इल्मी और अदबी शख़्सियतों के इंटरव्यूज़ अदबी रिसाले “तर्जीहात” में बराबर छपते रहते हैं।
अलीज़े नजफ़ नज़्म और नस्र दोनों विधाओं ही से गहरी वाबस्तगी रखती हैं। किताबें पढ़ना उनका महबूब मशग़ला है। अदब, मज़हबियात, नफ़्सियात और तज्ज़ियाती मज़ामीन वग़ैरा उनकी प्राथमिकताओं में शामिल हैं। रहा सवाल उनकी तख़लीक़ात की नौईयत का तो अब तक ज़्यादातर ग़ज़लों में तबा-आज़माई करती रही हैं। लेकिन अब नज़्में भी लिखने की कोशिश कर रही हैं। आज़ाद और नस्री नज़्में और क़तआत उन्हें बेहद पसंद हैं। इसके अलावा अदब, नफ़्सियात और तर्ज़-ए-मुआशरत वग़ैरा पर बराबर मज़ामीन लिखने की कोशिश करती रहती हैं। काॅलम निगारी की वजह से सियासी मज़ामीन भी उनके नोक-ए-क़लम पर होते हैं।