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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अम्बरीन सलाहुद्दीन

पाकिस्तान

नई पीढ़ी की अहम शायरा, अपनी नज़्मों के लिए प्रसिद्ध

नई पीढ़ी की अहम शायरा, अपनी नज़्मों के लिए प्रसिद्ध

अम्बरीन सलाहुद्दीन

ग़ज़ल 13

नज़्म 11

अशआर 8

उलझती जाती हैं गिर्हें अधूरे लफ़्ज़ों की

हम अपनी बातों के सारे अगर मगर खोलें

इक मंज़र में इक धुँदले से अक्स में छुप के रो लें

हम किस ख़्वाब में आँखें मूँदें किस में आँखें खोलें

आप कहें तो तीन ज़माने एक ही लहर में बह निकलें

आप कहें तो सारी बातों में ऐसी आसानी है

तुम जो चाहो तो रुक भी सकता है

वर्ना किस से रुका है आधा दिन

बहुत से लफ़्ज़ दस्तक दे रहे थे

सुकूत-ए-शब में रस्ता खुल रहा था

पुस्तकें 2

 

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