Amit Sharma Meet's Photo'

अमित शर्मा मीत

1989 | बरेली, भारत

अमित शर्मा मीत

ग़ज़ल 27

अशआर 24

दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी

ज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है

रात-भर ख़्वाब में जलना भी इक बीमारी है

इश्क़ की आग से बचने में समझदारी है

रात बेचैन सी सर्दी में ठिठुरती है बहुत

दिन भी हर रोज़ सुलगता है तिरी यादों से

पुरानी देख कर तस्वीर तेरी

नया हर दिन गुज़रता जा रहा है

तेरी सूरत तेरी चाहत यादें सब

छोटे से इस दिल में क्या क्या रक्खूँगा

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