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अमजद हैदराबादी

1878 - 1961 | हैदराबाद, भारत

प्रतिष्ठित शायर, अपनी रुबाई के लिए मशहूर

प्रतिष्ठित शायर, अपनी रुबाई के लिए मशहूर

अमजद हैदराबादी

ग़ज़ल 2

 

अशआर 3

झोलियाँ सब की भरती जाती हैं

देने वाला नज़र नहीं आता

ढूँडती हैं जिसे मिरी आँखें

वो तमाशा नज़र नहीं आता

बर्बाद कर बेकस का चमन बेदर्द ख़िज़ाँ से कौन कहे

ताराज कर मेरा ख़िर्मन उस बर्क़-ए-तपाँ से कौन कहे

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रुबाई 16

पुस्तकें 23

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