ए.आर.साहिल "अलीग" के शेर
उठा के हाथ दुआ माँगने लगे हैं चराग़
तो कर रही है भला कैसी रहनुमाई सबा
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टैग : दुआ
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इस क़दर मुझ पे मरती है पगली कोई
रोने लगती है डी पी हटाने के बाद
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सब की तक़रीरों में वैसे है ख़ुदा सब का ही इक
हाँ मगर हर दिल की अपनी मज़हबी पोशाक है
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शाम के तन पर सजी जो सुरमई पोशाक है
हम चराग़ों की फ़क़त ये रौशनी पोशाक है
क्या बताऊँ मैं कि तुम ने किस को सौंपी है हया
इस लिए सोचा मिरी ख़ामोशियाँ ही ठीक हैं
हो न पाए जब मुकम्मल इश्क़ का क़िस्सा तो फिर
शोहरतें रहने दो अब गुम-नामियाँ ही ठीक हैं
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टैग : इश्क़
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पीने पड़ते हैं सैंकड़ों आँसू
दर्द ख़ुद तो दवा नहीं होता
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टैग : आँसू
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गुलाब ख़्वाब सितारे धनक उदास चराग़
पड़ी है फ़स्ल-ए-मोहब्बत कटी-कटाई सबा
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आँखों में लाल डोरे से पड़ते चले गए
आँसू ये किस हुनर से पिरोता रहा ग़ज़ाल
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