'अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ
सब के सब दोस्त हैं दुश्मन की तरफ़
पंजाब के ‘राजकवि’ यानीं अर्श मल्सियानी उर्दू के मशहूर व लोकप्रिय शायर हैं .उनके पिता जोश मल्सियानी भी मशहूर शायर थे और दाग़ देहलवी के शागिर्द थे. अर्श का नाम बालमुकुंद था लेकिन अर्श मल्सियानी के नाम से मशहूर हुए. उनकी पैदाइश 20 सितम्बर 1908 को जालंधर के एक छोटे से क़स्बे मल्सियाँ में हुई. पेशे से इंजिनियर थे और नहर विभाग से सम्बद्ध रहे. उसके बाद लुधियाना के औद्योगिक स्कूल में नियुक्त हो गये और यहीं से ग्रेजुएशन किया. 1962 में देहली आ गये और 1968 में पब्लिकेशन डिवीज़न के अदबी रिसाला ‘आजकल’ के सहायक सम्पादक नियुक्त हुए. लगभग सात साल जोश मलीहाबादी के संगत में रहे. जोश के पाकिस्तान चले जाने के बाद उनकी जगह आजकल के सम्पादक नियुक्त हुए.
अर्श की रचनात्मक व्यक्तित्व के कई आयाम थे. वह एक अच्छे सम्पादक भी रहे शायरी भी की, अनुवाद भी किये और गद्य में हास्य लेखन भी किया. ’हफ्त रंग’ और ‘रंग व आहंग’ उनके काव्य संकलन हैं. उमर खैयाम की रुबाइयों का छन्दोबद्ध अनुवाद ‘हस्त व बूद ‘के नाम से प्रकाशित हुआ. उनके हास्य आलेखों का संग्रह ‘पोस्टमार्टम’ के नाम से प्रकाशित हुआ.