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अरशद जमाल सारिम

मालेगांव, भारत

अरशद जमाल सारिम

ग़ज़ल 15

अशआर 16

किस की तनवीर से जल उठ्ठे बसीरत के चराग़

किस की तस्वीर ये आँखों से लगाई गई है

ज़िंदगी तू भी हमें वैसे ही इक रोज़ गुज़ार

जिस तरह हम तुझे बरसों से गुज़ारे हुए हैं

देख मेरी ज़बूँ-हाली पे हँसने वाले

वक़्त की धूप ने किस दर्जा निखारा मुझ को

वो इक लम्हा सज़ा काटी गई थी जिस की ख़ातिर

वो लम्हा तो अभी हम ने गुज़ारा ही नहीं था

सुपुर्द-ए-आब यूँ ही तो नहीं करता हूँ ख़ाक अपनी

अजब मिट्टी के घुलने का मज़ा बारिश में रहता है

पुस्तकें 1

 

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 4

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
कहाँ कहाँ से सुनाऊँ तुम्हें फ़साना-ए-शब

अरशद जमाल सारिम

किश्त-ए-एहसास में थोड़ा सा मिला लेंगे तुझे

अरशद जमाल सारिम

फ़ना हुआ तो मैं तार-ए-नफ़स में लौट आया

अरशद जमाल सारिम

बस कि इक लम्स की उम्मीद पे वारे हुए हैं

अरशद जमाल सारिम

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