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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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असद मुल्तानी

ग़ज़ल 4

 

नज़्म 1

 

अशआर 3

असरार अगर समझे दुनिया की हर इक शय के

ख़ुद अपनी हक़ीक़त से ये बे-ख़बरी क्यूँ है

रहें रिंद ये ज़ाहिद के बस की बात नहीं

तमाम शहर है दो-चार दस की बात नहीं

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शराब बंद हो साक़ी के बस की बात नहीं

तमाम शहर है दो चार दस की बात नहीं

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पुस्तकें 2

 

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