बे-वज्ह नहीं हुस्न की तनवीर में ताबिश
लौ देते हैं ख़ाकिस्तर-ए-उल्फ़त के शरारे
असर रामपुरी की गिनती जलील मानिकपुरी और आरज़ू लखनवी के प्रिय शागिर्दों में होती है. उन्होंने ग़ज़ल, रुबाई और मसनवी की विधा में रचनाएँ कीं. असर रामपुरी उन शाइरों में हैं जिनके रचनात्मक अस्तित्व पर ग़ज़ल का पारम्परिक लहजा हावी रहा.
असर 1892 में रामपुर में पैदा हुए और 20 जनवरी 1963 को रामपुर में देहांत हुआ.