अश्क की पैदाइश 1900 को अमृतसर में एक व्यवसायी परिवार में हुई. अश्क तरक्क़ीपसंद शाइरों में अपने विशिष्ट शे’री अंदाज़ व विषयों के कारण सबसे अलग हैं. वह सही मायनी में अवाम के शाइर थे. उन्होंने नज़ीर अकबराबादी के अंदाज़ में बिल्कुल आसान और अवामी ज़बान में नज़्में कहीँ. उनके विषयवस्तु भी उसी तरह के हैं जो नज़ीर अकबराबादी के यहाँ मिलते हैं. इसीलिए उन्हें ‘नजीरे सानी’ (दूसरा नज़ीर) भी कहा जाता था. उनकी शाहकार नज़्मों (पैसा, भागो भागो हल्ला आया, बच्चों की नुमुं नुमां, हालात, टन टन टन, तब देख बहार कलकत्ता,कूक रे कोयल कूक, बंजारानामा) शीर्षकों से भी उनके शे’री रूझान का अंदाज़ा होता है.
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