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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Ata Abidi's Photo'

अता आबिदी

1962 | पटना, भारत

पत्रकार और कवि,अपने बाल साहित्य के लिए जाने जाते हैं

पत्रकार और कवि,अपने बाल साहित्य के लिए जाने जाते हैं

अता आबिदी के शेर

ज़रूरत ढल गई रिश्ते में वर्ना

यहाँ कोई किसी का अपना कब है

आज भी 'प्रेम' के और 'कृष्ण' के अफ़्साने हैं

आज भी वक़्त की जम्हूरी ज़बाँ है उर्दू

सब्र की हद भी तो कुछ होती है

कितना पलकों पे सँभालूँ पानी

अदब ही ज़िंदगी में जब आया

अदब में इतनी मेहनत किस लिए है

कोई भी ख़ुश नहीं है इस ख़बर से

कि दुनिया जल्द लौटेगी सफ़र से

ख़्वाब ही ख़्वाब की ताबीर हुआ तो जाना

ज़िंदगी क्यूँ किसी आँखों के असर में आई

किसी के जिस्म-ओ-जाँ छलनी किसी के बाल-ओ-पर टूटे

जली शाख़ों पे यूँ लटके कबूतर देख आया हूँ

सब ख़्वाब पुराने हैं हर चंद फ़साने हैं

हम रोज़ बसाते हैं आँखों में नई दुनिया

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