हम अब उदास नहीं सर-ब-सर उदासी हैं
हमें चराग़ नहीं रौशनी कहा जाए
बालमोहन पांडे 3 मई, 1998 को रोहतास, बिहार में पैदा हुए। वो नई नस्ल के उन शायरों में शामिल हैं, जो उर्दू शायरी ख़ास तौर पर ग़ज़ल में उभर कर सामने आए हैं। नए ख़यालात और इश्क़िया एहसासात को सादा मगर असर-अंगेज़ तरीक़े से पेश करने की सलाहियत रखते हैं। उनकी शायरी, जो समझने में आसान है, मानी की तह तक पहुँचती है और पढ़ने-सुनने वालों को इश्क़ और ज़िंदगी की पेचीदगियों पर ग़ौर करने की दावत देती है।
उनके शेर मोहब्बत, दर्द और ख़ुदी जैसे मज़ामीन की गहराई में जा कर एक नया ज़ाविया फ़राहम करते हैं, जो न सिर्फ़ सोचने पर मजबूर करता है बल्कि जज़्बाती सतह पर भी इंसान से जिसका कोई रिशता है।