देवांग ठाकुर 14 मई, 1997 को बाराबंकी, उत्तर प्रदेश में पैदा हुए। इब्तिदाई तालीम वतन ही में हासिल करने के बाद लखनऊ आए जहाँ उन्होंने जियोग्राफ़ी से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। लखनऊ अपने साथ अदब और शाइरी की जो फ़ज़ा लेकर चलता है, उसका असर देवांग पर भी हुआ। इनके शेरों में एक तरह की संजीदगी और नाज़ुकी देखने को मिलती है और पढ़ने वालों से एक अलग तरह का राब्ता क़ायम होता है। आपको इनके यहाँ सहल-ए-मुमतना के साथ-साथ ज़बान के उम्दा इस्तेमाल वाले शेर भी देखने को मिलते हैं। हक़-बयानी इनकी शाइरी का एक बुनियादी पहलू है।