फ़ैयाज़ अहमद फ़िलहाल प्रथम एजूकेशन फ़ाउंडेशन में कंटेंट और ट्रेनिंग के सरबराह हैं। वो प्रथम में कंटेंट की तख़्लीक़, छोटे बच्चों के लिए निसाब, ज़बान और रियाज़ी प्रोग्रामों की तर्बीयत के लिए भी ज़िम्मेदार है। फ़य्याज़ ने मुख़्तलिफ़ क़ौमी और बैन-उल-अक़वामी फ़ोर्मज़ पर प्रथम की नुमाइंदगी की है। 2013 में बिहार की 100 साला तक़रीबात (100 साल पर 100 कहानियाँ) के एक हिस्से के तौर पर बिहार हुकूमत के साथ कहानी लिखने के लिए वर्कशॉप का इं’इक़ाद किया है। वो 2007 में प्रथम में शामिल हुए। फ़य्याज़ लंबे अर्से तक थेटर से वाबस्ता रहे हैं। अदाकारी भिनकी और हिदायत-कारी के फ़राइज़ भी अंजाम दिए। टेली फ़िल्म में काम भी किया और कशीर चैनल के लिए स्क्रिप्ट भी लिखे।
'फ़य्याज़ ने जवाहर लाल नहरू यूनीवर्सिटी पी.एच.डी. की है। फ़ारसी अदब में ‘‘गौहर मुराद और हबीब तनवीर के ड्रामों के समाजी-ओ-सयासी मौज़ूआतः एक तक़ाबुली मुताला के साथ साथ जवाहर लाल नहरू यूनीवर्सिटी से मास मीडिया में ऐडवान्स डिप्लोमा भी किया है। उन्होंने मुख़्तलिफ़ रिसालों के लिए मज़ामीन और कहानियाँ भी लिखी हैं। प्रथम बुक्स के लिए उर्दू में 100 से ज़्यादा किताबें तर्जुमे भी किए।
फ़य्याज़ का तअ’ल्लुक़ दरभंगा बिहार से है, लेकिन दिल्ली में मुक़ीम हैं।