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हादी मछलीशहरी

1890 - 1961 | पाकिस्तान

हादी मछलीशहरी

ग़ज़ल 15

अशआर 14

ग़म-ए-दिल अब किसी के बस का नहीं

क्या दवा क्या दुआ करे कोई

तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़

किस से किस का गिला करे कोई

वो पूछते हैं दिल-ए-मुब्तला का हाल और हम

जवाब में फ़क़त आँसू बहाए जाते हैं

उस ने इस अंदाज़ से देखा मुझे

ज़िंदगी भर का गिला जाता रहा

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मिरा वजूद हक़ीक़त मिरा अदम धोका

फ़ना की शक्ल में सर-चश्मा-ए-बक़ा हूँ मैं

पुस्तकें 2

 

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