अब यही मेरे मशाग़िल रह गए
सोचना और जानिब-ए-दर देखना
हफ़ीज़ होशियारपुरी हल्क़ाए अरबाबे ज़ौक़ से सम्बद्ध शायरों में से हैं. उनका असल नाम शैख़ अब्दुल हफ़ीज़ सलीम था, हफ़ीज़ तख़ल्लुस अपनाया. उनकी पैदाइश 5 जनवरी 1912 को दिवानपुर ज़िला झंग में हुई. आरम्भिक शिक्षा इस्लामिया हाईस्कूल होशियारपुर से प्राप्त की. 1928 में मैट्रिक का इम्तेहान पास करने के बाद गवर्नमेंट कालेज लाहौर से बी.ए. और 1936 में फ़लसफ़े में एम.ए.की डिग्री प्राप्त की. लाहौर और मुंबई की रेडियो सर्विसेज से सम्बद्ध रहे. विभाजन के बाद डिप्टी डायरेक्टर जनरल रेडियो पाकिस्तान के पद पर आसीन रहे.
हफ़ीज़ ने कई काव्य विधाओं में शायरी की लेकिन उनके रचनात्मक अभिव्यक्ति का अहम माध्यम ग़ज़ल की विधा रही. तारीख़े कथन पर हफ़ीज़ को कमाल हासिल था. हफ़ीज़ की ज़िंदगी में उनका कोई काव्य संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ. 1973 में उनके देहांत के बाद ‘मक़ामे ग़ज़ल ‘ के नाम से उनका समग्र प्रकाशित हुआ.