संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल69
नज़्म29
शेर79
ई-पुस्तक109
टॉप 20 शायरी 20
चित्र शायरी 8
ऑडियो 7
वीडियो21
क़ितआ20
क़िस्सा3
बच्चों की कहानी2
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल 69
नज़्म 29
अशआर 79
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कोई चारह नहीं दुआ के सिवा
कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके
तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
क़ितआ 20
क़िस्सा 3
बच्चों की कहानी 2
पुस्तकें 109
चित्र शायरी 8
कोई चारह नहीं दुआ के सिवा कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा मुझ से क्या हो सका वफ़ा के सिवा मुझ को मिलता भी क्या सज़ा के सिवा बर-सर-ए-साहिल मुराद यहाँ कोई उभरा है नाख़ुदा के सिवा कोई भी तो दिखाओ मंज़िल पर जिस को देखा हो रहनुमा के सिवा दिल सभी कुछ ज़बान पर लाया इक फ़क़त अर्ज़-ए-मुद्दआ के सिवा कोई राज़ी न रह सका मुझ से मेरे अल्लाह तिरी रज़ा के सिवा बुत-कदे से चले हो काबे को क्या मिलेगा तुम्हें ख़ुदा के सिवा दोस्तों के ये मुख़्लिसाना तीर कुछ नहीं मेरी ही ख़ता के सिवा मेहर ओ मह से बुलंद हो कर भी नज़र आया न कुछ ख़ला के सिवा ऐ 'हफ़ीज़' आह आह पर आख़िर क्या कहें दोस्त वाह वा के सिवा
दोस्ती का चलन रहा ही नहीं अब ज़माने की वो हवा ही नहीं सच तो ये है सनम-कदे वालो दिल ख़ुदा ने तुम्हें दिया ही नहीं पलट आने से हो गया साबित नामा-बर तू वहाँ गया ही नहीं हाल ये है कि हम ग़रीबों का हाल तुम ने कभी सुना ही नहीं क्या चले ज़ोर दश्त-ए-वहशत का हम ने दामन कभी सिया ही नहीं ग़ैर भी एक दिन मरेंगे ज़रूर उन के हिस्से में क्या क़ज़ा ही नहीं उस की सूरत को देखता हूँ मैं मेरी सीरत वो देखता ही नहीं इश्क़ मेरा है शहर में मशहूर और तुम ने अभी सुना ही नहीं क़िस्सा-ए-क़ैस सुन के फ़रमाया झूट की कोई इंतिहा ही नहीं वास्ता किस का दें 'हफ़ीज़' उन को उन बुतों का कोई ख़ुदा ही नहीं