हाए वो जिस की उम्मीदें हों ख़िज़ाँ पर मौक़ूफ़
शाख़-ए-गुल सूख के गिर जाए तो काशाना बने
अफ़सर मेरठी एक प्रसिद्ध शायर, अदीब और आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने बच्चों के लिए बहुत सी नज़्में और कहानियाँ लिखीं। अफ़सर के सृजनात्मक और आलोचनात्मक साहित्य का विशेष गुण उसका उद्देश्यपूर्ण होना है।
अफ़सर 29 नवंबर 1895 को मेरठ में पैदा हुए। असल नाम हामिदुल्लाह था। मदरसा आलिया मेरठ से अरबी व फ़ारसी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरठ कालेज से बी.ए. किया और गवर्नमेन्ट कालेज लखनऊ में उर्दू की शिक्षा से सम्बद्ध हो गए। एक लम्बे अर्से तक शैक्षिक अनुभव के बाद अफ़सर ने बच्चों के पाठ्यक्रम की कई किताबें भी लिखीं।
अफ़सर के काव्य संग्रह ‘पयाम-ए-रूह’ और ‘जुए खाँ’ के नाम से प्रकाशित हुए। ‘डाली का जोग’ और ‘परछाइयाँ’ उनकी कहानियों के संग्रह है। ‘नौ रस’ और ‘नक़दुलअदब’ के नाम से उनकी आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित हुईं। इसके आलावा भी अनगिनत विषयों पर अफ़सर की कई पुस्तकें प्रकाशित हुईं।
1958 में अफ़सर का देहांत हुआ।
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