हाशिम अज़ीमाबादी के हास्य-व्यंग्य
मुल्लाओं की कॉन्फ़्रेंस
जुमा की नमाज़ पढ़ कर मस्जिद से निकल रहा था कि एक इश्तिहार मेरी तरफ़ बढ़ा दिया गया। मैं पढ़ने लगा। लिखा था, “आप हज़रात से इल्तिजा है कि मुल्लाओं की कान्फ़्रैंस में शरीक होकर सवाब-ए-दारैन हासिल करें। लेकिन कान्फ़्रैंस में शिरकत के लिए 'मौलवी' होने की सनद लाज़िमी
बूढ़ों की कॉन्फ़्रेंस
दफ़्तर से वापस आ रहा था कि रास्ते में रिक्शा, टम-टम और फ़ीटन पर रंग बिरंग के बूढ़े हज़रात को जौक़-ए-मुरादपुर की तरफ़ जाते देख कर मैंने एक बुज़ुर्ग से पूछा, “जनाब-ए-आ'ली! ग़ालिबन आप साहिबान किसी के जनाज़े में शिरकत के लिए तशरीफ़ ले जा रहे हैं।” उन्होंने मुझे
शयातीन की कॉन्फ़्रेंस
इब्लीस के ए'लान के मुताबिक़ दुनिया के कोने कोने से शयातीन इकट्ठा हो रहे हैं, यहाँ तक कि पूरा पंडाल शयातीन से भर जाता है। सिर्फ़ इब्लीस की आमद का इंतिज़ार है....लीजिए! इब्लीस भी आ ही गए। सारे शयातीन ता'ज़ीम के लिए खड़े हो जाते हैं। इब्लीस, शयातीन को बैठने