हस्तीमल हस्ती के दोहे
राहत रोटी आसरा नींदें दवा क़मीज़
आज मोहब्बत भी हुई सपनों वाली चीज़
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धीरे धीरे हो गई ये इतनी बद-रंग
जीवन की पोशाक का भूले असली रंग
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