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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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होश जौनपुरी

1940 - 2003 | जौनपुर, भारत

ना’त, मन्क़बत, सलाम, मर्सिये और क़सीदे जैसी विधाओं में शायरी की

ना’त, मन्क़बत, सलाम, मर्सिये और क़सीदे जैसी विधाओं में शायरी की

होश जौनपुरी

ग़ज़ल 18

नज़्म 7

अशआर 18

क्या सितम करते हैं मिट्टी के खिलौने वाले

राम को रक्खे हुए बैठे हैं रावण के क़रीब

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जाने किस किस का गला कटता पस-ए-पर्दा-ए-इश्क़

खुल गए मेरी शहादत में सितमगर कितने

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जो हादिसा कि मेरे लिए दर्दनाक था

वो दूसरों से सुन के फ़साना लगा मुझे

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डूबने वाले को साहिल से सदाएँ मत दो

वो तो डूबेगा मगर डूबना मुश्किल होगा

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दीवार उन के घर की मिरी धूप ले गई

ये बात भूलने में ज़माना लगा मुझे

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पुस्तकें 2

 

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