ईमान क़ैसरानी के शेर
दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो
क्या क़यामत है कि अब हाथ मिलाने से गए
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टैग : सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी
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