इम्तियाज़ ख़ान के शेर
हम को अक्सर ये ख़याल आता है उस को देख कर
ये सितारा कैसे ग़लती से ज़मीं पर रह गया
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एहसान ज़िंदगी पे किए जा रहे हैं हम
मन तो नहीं है फिर भी जिए जा रहे हैं हम
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राह-ए-दिल को रौंद कर आगे निकल जाएँगे लोग
आँख में उठता ग़ुबार-ए-क़ाफ़िला रह जाएगा
क्या यूँही ख़ामोश दुनिया से गुज़र जाएँगे हम
क्या जो कहना है वो सब कुछ अन-कहा रह जाएगा
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