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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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इरफ़ान ख़ान

1989 | लखनऊ, भारत

इरफ़ान ख़ान के शेर

ज़िंदगी ने अजब सवाल किए

राएगाँ सारी पर्चियाँ निकलीं

कभी मौक़े पे काम आया करेगी

किसी के साथ रखिए दुश्मनी भी

हम को दरकार इक तबीब की है

आप आएँ तो हम भी अच्छे हों

काम आसान कर दिया जाए

इश्क़ में वापसी के रास्ते हों

काम आसान कर दिया जाए

इश्क़ में वापसी के रास्ते हों

हम को दरकार इक तबीब की है

आप आएँ तो हम भी अच्छे हों

उन को भी अपनी झुर्रियाँ दिख जाएँ

आइनों के भी अपने चेहरे हों

उन को भी अपनी झुर्रियाँ दिख जाएँ

आइनों के भी अपने चेहरे हों

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